Ek Dukhee Pati Kee Shaayaree …. Patnee Ke Naam
चौबीस घंटे लड़ना मुझसे है काम तेरा
रक्खा है करके तूने जीना हराम मेरा
अंगरेज बन के आई घर में तू मेरे गोरी
मैं बन के रह गया हूँ काला गुलाम तेरा
बेरोज़गार था मैं अब काम से हूँ बेदम
उस पर भी लानतें हैं तेरी इनाम मेरा
मर्ज़ी का था मैं मालिक अब हुक्म बजाता हूँ
क्या खूब कर दिया है तूने इंतजाम मेरा
कोल्हू के बैल जैसा मेरा हाल हो गया है
चक्कर लगा रहा हूँ बस सुबहो-शाम तेरा
आफ़त की है तू पुडिया मेरी जान की है दुश्मन
ऐ मुश्किलों की मलिका तुझको प्रणाम मेरा
कुछ लोग बीवियों से डरते नहीं, सुना है
ऐसे बहादुरों को फर्शी सलाम मेरा
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.