माना की तुम जीते हो ज़माने के लिये,
एक बार जी के तो देखो हमारे लिये,
दिल की क्या औकात आपके सामने,
हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये
कोई रास्ता नही दुआ के सिवा,
कोई सुनता नही खुदा के सिवा,
मैने भी ज़िंदगी को करीब से देखा है मेरे दोस्त,
मुस्किल मे कोई साथ नही देता आँसू के सिवा
.दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे!
गुजारिश हमारी वह मान न सके,
मज़बूरी हमारी वह जान न सके,
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे,
जीते जी जो हमें पहचान न सके.
तेरे दिल के करीब आना चाहता हूँ मैं,
तुझको नहीं और अब खोना चाहता हूँ मैं,
अकेले इस तनहाई का दर्द बर्दाश्त नहीं होता,
तू एक बार आजा तुझसे लिपट कर रोना चाहता हूँ मैं..
आप से दूर हो कर हम जायेंगे कहा,
आप जैसा दोस्त हम पाएंगे कहा,
दिल को कैसे भी संभाल लेंगे,
पर आँखों के आंसू हम छुपायेंगे कहा.
उनकी मोहब्बत का अभी निशान बाकी हैं,
नाम लब पर हैं मगर जान अभी बाकी हैं,
क्या हुआ अगर देख कर मूंह फेर लेते हैं वो..
तसल्ली हैं कि अभी तक शक्ल कि पहचान बाकी हैं!
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,
खाली ही सही हाथों में जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.